अपने हाथों से ही अपना आशियाना मिटा देते है चाहने वाले, कुछ तो मजबूरी होती होगी कि न चाहते हुये भी बिछड़ जाते है चाहने वाले, दिल में लेकर गमों का समुंदर एक दूसरे की याद में जिंदगी बिता देते है चाहने वाले ।
हिंदुस्तान ख़तरे में हैं
भारत की मस्जिदें तोड़ो , ये राम नहीं कहतें । हिन्दू से नफ़रत करो , ये मुसलमान नहीं क हतें । रोटी का कोई धर्म नहीं होता , पानी की कोई जात नहीं होती । ज हां इंसानियत जिन्दा है , व हां मजहब की बात नहीं होती । किसी को लगता हिन्दू खतरे में है , किसी को लगता मुसलमान खतरे में है। धर्म का चश्मा उतार कर देखो यारो, पता चलेगा हमारा हिंदुस्तान ख़तरे में है !! ___सुरेन्द्र कुमार यादव
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